ये दुख के दिन
ये दुख के दिन काटे हैं जिसने गिन गिनकर पल-छिन, तिन-तिन। आँसू की लड़ के…
Read Moreये दुख के दिन काटे हैं जिसने गिन गिनकर पल-छिन, तिन-तिन। आँसू की लड़ के…
Read Moreवासना-समासीना, महती जगती दीना। जलद-पयोधर-भारा, रवि-शशि-तारक-हारा, व्योम-मुखच्छबिसारा शतधारा पथ-हीना। ॠषिकुल-कल-कण्ठस्तुति, दिव्य-शस्य-सकलाहुति, निगमागम-शास्त्रश्रुति रासभ-वासव-वीणा।
Read Moreलिया-दिया तुमसे मेरा था, दुनिया सपने का डेरा था। अपने चक्कर से कुल कट गये,…
Read Moreगीत गाने दो मुझे तो, वेदना को रोकने को। चोट खाकर राह चलते होश के…
Read Moreतुमने स्वर के आलोक-ढले गाये हैं गाने गले-गले। बचकर भव की भंगुरता से रागों के…
Read Moreवन-वन के झरे पात, नग्न हुई विजन-गात। जैसे छाया के क्षण हंसा किसी को उपवन,…
Read Moreक्यों मुझको तुम भूल गये हो? काट डाल क्या, मूल गये हो। रवि की तीव्र…
Read Moreतुमसे जो मिले नयन, दूर हुए दुरित-शयन। खिले अंग-अंग अमल सर के पातः-शतदल पावन-पवनोत्कल-पल, अलक-मन्द-गन्ध-वयन।…
Read Moreनव जीवन की बीन बजाई। प्रात रागिनी क्षीण बजाई। घर-घर नये-नये मुख, नव कर, भरकर…
Read Moreपाप तुम्हारे पांव पड़ा था, हाथ जोड़कर ठांव खड़ा था। विगत युगों का जंग लगा…
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