गीत-गाये हैं मधुर स्वर,
गीत-गाये हैं मधुर स्वर, किरण-कर वीणा नवलतर। ताकते हैं लोग, आये कहाँ तुम, कैसे सुहाये,…
Read Moreगीत-गाये हैं मधुर स्वर, किरण-कर वीणा नवलतर। ताकते हैं लोग, आये कहाँ तुम, कैसे सुहाये,…
Read Moreलघु-तटिनी, तट छाईं कलियां; गूँजी अलियों की आवलियाँ। तरियों की परियाँ हैं जल पर, गाती…
Read Moreहार गई मैं तुम्हें जगाकर, धूप चढ़ी प्रखर से प्रखरतर। वर्जन के जो वज्र-द्वार हैं,…
Read Moreप्रिय के हाथ लगाये जागी, ऐसी मैं सो गई अभागी। हरसिंगार के फूल झर गये,…
Read Moreकौन गुमान करो जिन्दगी का? जो कुछ है कुल मान उन्हीं का। बाँधे हुए घर-बार…
Read Moreछोड़ दो, न छेड़ो टेढ़े, कब बसे तुम्हारे खेड़े? यह राह तुम्हारी कब की जिसको…
Read Moreकुंज-कुंज कोयल बोली है, स्वर की मादकता घोली है। कांपा है घन पल्लव-कानन, गूँजी गुहा…
Read Moreहार तुमसे बनी है जय, जीत की जो चक्षु में क्षय। विषम कम्पन बली के…
Read Moreअट नहीं रही है आभा फागुन की तन सट नहीं रही है। कहीं साँस लेते…
Read Moreसहज-सहज कर दो; सकलश रस भर दो। ठग ठगकर मन को लूट गये धन को,…
Read More