पथ पर बेमौत न मर,
पथ पर बेमौत न मर, श्रम कर तू विश्रम-कर। उठा उठा करद हाथ, दे दे…
Read Moreपथ पर बेमौत न मर, श्रम कर तू विश्रम-कर। उठा उठा करद हाथ, दे दे…
Read Moreहुए पार द्वार-द्वार, कहीं मिला नहीं तार। विश्व के समाराधन हंसे देखकर उस क्षण, चेतन…
Read Moreकौन फिर तुझको बरेगा तू न जब उस पथ मरेगा? निखिल के शर शत्रु हनकर,…
Read Moreहरिण-नयन हरि ने छीने हैं। पावन रँग रग-रग भीने हैं। जिते न-चहती माया महती, बनी…
Read Moreखोले अमलिन जिस दिन, नयन विश्वजन के दिखी भारती की छबि, बिके लोग धन के।…
Read Moreतू दिगम्बर विश्व है घर ज्ञान तेरा सहज वर कर। शोकसारण करणकारण, तरणतारण विष्णु-शंकर। अमित…
Read Moreकैसे हुई हार तेरी निराकार, गगन के तारकों बन्द हैं कुल द्वार? दुर्ग दुर्घर्ष यह…
Read Moreतुम आये, कनकाचल छाये, ऐ नव-नव किसलय फैलाये। शतशत वल्लरियाँ नत-मस्तक, झुककर पुष्पाधर मुसकाये। परिणय…
Read Moreमधुर स्वर तुमने बुलाया, छद्म से जो मरण आया। बो गई विष वायु पच्छिम, मेघ…
Read Moreगवना न करा। खाली पैरों रास्ता न चला। कंकरीली राहें न कटेंगी, बेपर की बातें…
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