गोरे अधर मुस्काई
गोरे अधर मुस्काई हमारी वसन्त विदाई । अंग-अंग बलखाई हमारी वसन्त विदाई । परिमल के…
Read Moreगोरे अधर मुस्काई हमारी वसन्त विदाई । अंग-अंग बलखाई हमारी वसन्त विदाई । परिमल के…
Read Moreतपन से घन, मन शयन से, प्रातजीवन निशि-नयन से। प्रमद आलस से मिला है, किरण…
Read Moreचलीं निशि में तुम आई प्रात; नवल वीक्षण, नवकर सम्पात, नूपुर के निक्वण कूजे खग,…
Read Moreतपी आतप से जो सित गात, गगन गरजे घन, विद्युत पात। पलटकर अपना पहला ओर,…
Read Moreमाँ अपने आलोक निखारो, नर को नरक-त्रास से वारो। विपुल दिशावधि शून्य वगर्जन, व्याधि-शयन जर्जर…
Read Moreतुम्हारी छांह है, छल है, तुम्हारे बाल हैं, बल है। दृगों में ज्योति है, शय…
Read Moreकिरणों की परियाँ मुसका दों। ज्योति हरी छाया पर छा दी। परिचय के उर गूंजे…
Read Moreघन आये घनश्याम न आये। जल बरसे आँसू दृग छाये। पड़े हिंडोले, धड़का आया, बढ़ी…
Read Moreगगन गगन है गान तुम्हारा, घन घन जीवनयान तुम्हारा। नयन नयन खोले हैं यौवन, यौवन…
Read Moreबीन वारण के वरण घन, जो बजी वर्षित तुम्हारी, तार तनु की नाचती उतरी, परी,…
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