कबीर
एक माँ के कलंक का टीका लग गया था ज़मी ंके माथे पर लहरतारा के…
Read Moreहर हसीन मंज़र की आड़ में गुज़र उनका हँस पड़े उधर जलवे रख़ हुआ जिधर…
Read Moreग़म ने तो बहुत हँसी उड़ाई गम़ की भी ज़रा हँसी उड़ाओ आँसू की तरह…
Read Moreजुगनू मौसम का परदार तारा जुगनू फ़ितरत का ठंडा शरारा जुगनू उड़-उड़ के मशअल दिखाये…
Read Moreजिसका है सबको ज्ञान यही है सारे जहाँ की जान यही है जिससे है अपनी…
Read Moreबैठी है दिलों पे धाक अब भी, तुम उठ गए, उठ गए जनाज़ा सौ साल…
Read Moreवह डूबा सूरज वह दिल ने झुक कर बढ़ा दिया रौशनी का डेरा वह रख…
Read Moreडरता हूँ रूक न जाये कविता की बहती धारा मैली है जब से गंगा, मैला…
Read Moreमेरा दरवाज़ा खुला रहता है उसकी ख़ातिर शहर भी जिसका है हक़दार, वह घर मेरा…
Read Moreहर गाम पे हुशियार बनारस की गली में फ़ितने भी हैं बेदार बनारस की गली…
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