बापू, तुम मुर्गी खाते यदि !
बापू, तुम मुर्गी खाते यदि तो क्या भजते होते तुमको ऐरे-ग़ैरे नत्थू खैरे – ?…
Read Moreबापू, तुम मुर्गी खाते यदि तो क्या भजते होते तुमको ऐरे-ग़ैरे नत्थू खैरे – ?…
Read Moreनर जीवन के स्वार्थ सकल बलि हों तेरे चरणों पर, माँ मेरे श्रम सिंचित सब…
Read Moreआज ठंडक अधिक है। बाहर ओले पड़ चुके हैं, एक हफ़्ता पहले पाला पड़ा था–…
Read Moreआज प्रथम गाई पिक पंचम। गूंजा है मरु विपिन मनोरम। मस्त प्रवाह, कुसुम तरु फूले,…
Read Moreगर्म पकौड़ी- ऐ गर्म पकौड़ी, तेल की भुनी नमक मिर्च की मिली, ऐ गर्म पकौड़ी…
Read Moreदलित जन पर करो करुणा। दीनता पर उतर आये प्रभु, तुम्हारी शक्ति वरुणा। हरे तन…
Read Moreगीत गाने दो मुझे तो, वेदना को रोकने को। चोट खाकर राह चलते होश के…
Read Moreअंचल के चंचल क्षुद्र प्रपात ! मचलते हुए निकल आते हो; उज्जवल! घन-वन-अंधकार के साथ…
Read Moreअट नहीं रही है आभा फागुन की तन सट नहीं रही है। कहीं साँस लेते…
Read Moreजब कड़ी मारें पड़ीं, दिल हिल गया पर न कर चूँ भी, कभी पाया यहाँ;…
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