कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता
कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा…
Read Moreकुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा…
Read Moreकिस को देखा है ये हुआ क्या है दिल धड़कता है माजरा क्या है इक…
Read Moreझूम कर बदली उठी और छा गई सारी दुनिया पर जवानी आ गई आह वो…
Read Moreऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए वो उम्र क्या हुई वो ज़माने किधर…
Read Moreखेलूँगी कभी न होली उससे जो नहीं हमजोली । यह आँख नहीं कुछ बोली, यह…
Read Moreकेशर की, कलि की पिचकारीः पात-पात की गात सँवारी । राग-पराग-कपोल किए हैं, लाल-गुलाल अमोल…
Read Moreअभी न होगा मेरा अन्त अभी-अभी ही तो आया है मेरे वन में मृदुल वसन्त-…
Read Moreयुवकजनों की है जान ; ख़ून की होली जो खेली । पाया है लोगों में…
Read Moreनयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे, खेली होली ! जागी रात सेज प्रिय पति सँग रति…
Read Moreमार दी तुझे पिचकारी, कौन री, रँगी छबि यारी ? फूल -सी देह,-द्युति सारी, हल्की…
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