किसी की आँखों का ज़िक्र छेड़ें अजीब कुछ पुर-वुक़ार आँखें
किसी की आँखों का ज़िक्र छेड़ें अजीब कुछ पुर-वुक़ार आँखें मगर ख़ुदा वास्ता न डाले…
Read Moreकिसी की आँखों का ज़िक्र छेड़ें अजीब कुछ पुर-वुक़ार आँखें मगर ख़ुदा वास्ता न डाले…
Read Moreक्या क्या हैं एहमितात मगर देखिए अभी हो तो गई है शाम मगर देखिए अभी…
Read Moreहक़ीक़त हक़ीक़त कहाँ मेरे बाद के उभरेंगी परछाइयाँ मेरे बाद तमाशाइयो चुन के रख लो…
Read Moreख़ुश हैं बहुत मिज़ाज-ए-ज़माना बदल के हम लेकिन ये शेर किस को सुनाएं ग़ज़ल के…
Read Moreहार कर हिज्र-ए-ना-तमाम से हम चुपके बैठे हुए हैं शाम से हम कैसे इतरा रहे…
Read Moreहम से गुम-राह ज़माने ने कहाँ देखे हैं हम ने मिटते हुए क़दमों के निशाँ…
Read Moreहँसते हुए कतरा के गुज़र जाए है मुझ से क्या क्या वो मुझे देख के…
Read Moreफ़िक्र-ए-तजदीद-ए-रवायात-ए-कुहन आज भी है हक़-बयानी का सिला दार ओ रसन आज भी है पासबानान-ए-चमन की…
Read Moreफ़रेबों से न बहलेगा दिल-ए-आशुफ़्ता-काम अपना ब-ज़ाहिर मुस्कुरा कर देखने वाले सलाम अपना किसी की…
Read Moreदूर ऐसे फ़लक-ए-मैहर-ए-जबीं हो जैसे और मालूम ये होता है यहीं हो जैसे ख़ाक छानी…
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