तबीअतों में बड़ा इख़्तिलाफ़ होता है
तेरे सुलूक-ए-तग़ाफुल से हो के सौदाई चला हूँ मैं तो कुछ आगे चली है रूसवाई…
Read Moreतेरे सुलूक-ए-तग़ाफुल से हो के सौदाई चला हूँ मैं तो कुछ आगे चली है रूसवाई…
Read Moreसँवारे है गेसू तो देखा करे है वो अब दिल को आईना जाना करे है…
Read Moreसब ने बना बना के तमाशा हमें तुम्हें हैरत हुई जो ग़ौर से देखा हमें…
Read Moreन जाने रफ़्ता रफ़्ता क्या से क्या होते गए हम तुम के जितनी एहतियातें कीं…
Read Moreनींद की आँख मिचोली से मज़ा लेती हैं फेंक देते हैं किताबों को उठा लेते…
Read Moreन ग़ैर ही मुझे समझो न दोस्त ही समझो मेरे लिए ये बहुत है के…
Read Moreमैं तो ज़िंदगी चाहूँ ज़िंदगी ख़ुशी चाहे उन की बात रहने दो उन का जो…
Read Moreमुसर्रतों की साअतों में इख़्तेसार कर लिया हयात-ए-ग़म को हम ने और साज़-गार कर लिया…
Read Moreक्या क्या हरीस फ़ैज़-मआबों के आस-पास भौंरों का रक़्स जैसे गुलाबों के आस-पास कितने हसीं…
Read Moreलब पे इक नाम हमेशा की तरह और क्या काम हमेशा की तरह दिन अगर…
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