तक़सीर क्या है हसरत-ए-दीदार ही तो है
तक़सीर क्या है हसरत-ए-दीदार ही तो है पादाश उस की हुस्न का पिंदार ही तो…
Read Moreतक़सीर क्या है हसरत-ए-दीदार ही तो है पादाश उस की हुस्न का पिंदार ही तो…
Read Moreरात के समंदर में ग़म की नाव चलती है दिन के गर्म साहिल पर ज़िंदा…
Read Moreमिरे फ़िक्र ओ फ़न को नई फ़जा नए बाल-ओ-पर की तलाश है जो क़फ़स को…
Read Moreक़िरतास पे नक़्शे हमें क्या क्या नज़र आए सब ख़ुश्क नज़र आए जो दरिया नज़र…
Read Moreजीने का लुत्फ़ कुछ तो उठाओ नशे में आओ हँसते हैं कैसे ग़म में दिखाओ…
Read Moreहो रही है दर-ब-दर ऐसी जबीं-साई कि बस क्या अभी बाक़ी है कोई और रूसवाई…
Read Moreअभी तो हौसला-ए-कारोबार बाक़ी है ये कम कि आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहार बाक़ी है अभी तो शहर के…
Read Moreये जान कर के फूल नहीं इख़्तियार के काँटे चुने हैं मैं ने चमन में…
Read Moreज़ुल्म है हुस्न को एहसास ज़रा हो जाना क्यूँ के एहसास के मानी हैं ख़ुदा…
Read Moreतदारूक़-ए-ग़म हर सुब्ह ओ शाम करते रहे के हम परस्तिश-ए-मीना-ओ-जाम करते रहे बता गए हैं…
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