किस ने इन आहिनी-दरवाज़ों के पट खोल दिए
किस ने इन आहिनी-दरवाज़ों के पट खोल दिए किस ने ख़ूँ-ख़्वार-दरिंदों को यहाँ छोड़ दिया…
Read Moreकिस ने इन आहिनी-दरवाज़ों के पट खोल दिए किस ने ख़ूँ-ख़्वार-दरिंदों को यहाँ छोड़ दिया…
Read Moreबहुत ही सख़्त बहुत ही तवील है ये घड़ी इस अहद-ए-क़हक़री का हर क़दम है…
Read Moreमार्क्स के इल्म ओ फ़तानत का नहीं कोई जवाब कौन उस के दर्क से होता…
Read Moreजमालियात का नक़्क़ाद जितना हैराँ है वो बाब-ए-हुस्न में भी उतना ही परेशाँ है जमालियात…
Read Moreथक गई रात मसकने लगा ग़ाज़ा का फ़ुसूँ सर्द पड़ने लगीं गर्दन में हमाइल बाँहें…
Read Moreपूरब देस में डुग्गी बाजी फैला सुख का हाल दुख की आगनी कौन बुझाए सूख…
Read Moreवो तन्हा मेरे ही दरपय नहीं है किसी से ख़ुश हो ये भी तय नहीं…
Read Moreज़हराब पीने वाले अमर हो के रह गए नैसां के चंद क़तरे गुहर हो के…
Read Moreसुर्ख़ दामन में शफ़क के कोई तारा तो नहीं हम को मुस्तक़बिल-ए-ज़र्री ने पुकारा तो…
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