आ ही गया वो मुझ को लहद में उतारने
आ ही गया वो मुझ को लहद में उतारने ग़फ़लत ज़रा न की मिरे ग़फ़लत-शेआर…
Read Moreआ ही गया वो मुझ को लहद में उतारने ग़फ़लत ज़रा न की मिरे ग़फ़लत-शेआर…
Read Moreतिरा वहशी कुछ आगे है जुनून-ए-फ़ित्ना-सामाँ से कहीं दस्त ओ गिरेबाँ हो न आबादी बयाबाँ…
Read Moreवो जो फ़िर्दोस-ए-नज़र है आईना-ख़ाना अभी जलवा-गर जो वो न हों हो जाए वीराना अभी…
Read Moreमेरी क़िस्मत से क़फस का या तो दर खुलता नहीं दर जो खुलता है तो…
Read Moreतकमील-ए-इश्क़ जब हो कि सहरा भी छोड़ दे मजनूँ ख़याल-ए-महमिल-ए-लैला भी छोड़ दे कुछ इक्तिज़ा-ए-दिल…
Read Moreजब सबक़ दे उन्हें आईना ख़ुद-आराई का हाल क्यूँ पूछें भला वो किसी सौदाई का…
Read Moreजिस से वफ़ा की थी उम्मीद उस ने अदा किया ये हक औरों से इर्तिबात…
Read Moreहुस्न-ए-मुतलक़ है क्या किसे मालूम इब्तिदा इंतिहा किस मालूम मेरी बे-ताबियों की खा के क़सम…
Read Moreहसीनों के तबस्सुम का तकाज़ा और ही कुछ है मगर कलियों के खिलने का नतीजा…
Read Moreदावर ने बंदे बंदों ने दावर बना दिया सागर ने क़तरे क़तरों ने सागर बिना…
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