एक लड़की शादाँ
एक लड़की थी छोटी सी दुबली सी और मोटी सी नन्ही सी और मुन्नी सी…
Read Moreएक लड़की थी छोटी सी दुबली सी और मोटी सी नन्ही सी और मुन्नी सी…
Read More इक बार फिर वतन में गया जा के आ गया लख़्त-ए-जिगर को ख़ाक मे…
Read Moreलहद में सो रही है आज बे-शक मुश्त-ए-ख़ाक उस की मगर गर्म-ए-अमल है जागती है…
Read Moreहवा भी ख़ुश-गवार है गुलों पे भी निखार है तरन्नुम-ए-हज़ार है बहार पुर-बहार है कहाँ…
Read Moreये क्या मक़ाम है वो नज़ारे कहाँ गए वो फूल क्या हुए वो सितारे कहाँ…
Read Moreजिंदगानी का लुत्फ़ भी आ जाएगा ज़िंदगानी है तो देखा जाएगा जिस तरह लकड़ी को…
Read Moreउभरे जा ख़ाक से वो तह-ए-ख़ाक हो गए सब पाइमाल-ए-गर्दिश-ए-अफ़लाक हो गए रखती थी लाग…
Read Moreवो सर-ख़ुशी दे कि ज़िंदगी को शबाब से बहर-याब कर दे मिरे ख़्यालों में रंग…
Read Moreक्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है अब इश्क़ किया…
Read Moreतीर चिल्ले पे न आना कि ख़ता हो जाना लब तक आते हुए शिकवे का…
Read More