आरज़ू को रूह में ग़म बन के रहना आ गया
आरज़ू को रूह में ग़म बन के रहना आ गया सहते सहते हम को आख़िर…
Read Moreआरज़ू को रूह में ग़म बन के रहना आ गया सहते सहते हम को आख़िर…
Read Moreआईना-ए-निगाह में अक्स-ए-शबाब है दुनिया समझ रही है के आँखों में ख़्वाब है रोए बग़ैर…
Read Moreसाफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैं मुँह से कहते हुए ये बात…
Read Moreवो इत्तफ़ाक़ से रस्ते में मिल गया था मुझे मैं देखता था उसे और वो…
Read Moreकोई दवा न दे सके, मश्वरा दुआ दिया चारागरों ने और भी दिल का दर्द…
Read Moreहम ही में थी न कोई बात, याद न तुम को आ सके तुमने हमें…
Read Moreक्यों हिज्र के शिकवे करता है, क्यों दर्द के रोने रोता है? अब इश्क किया…
Read Moreकोई चारा नहीं दुआ के सिवा कोई सुनता नहीं खुदा के सिवा मुझसे क्या हो…
Read More एक बे-तुकी नज़्म आज बिस्तर ही में हूँ कर दिया है आज मेरे मुज़्महिल…
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