कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें।
कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें। जीवन-सरिता की लहर-लहर, मिटने को बनती यहाँ प्रिये…
Read Moreकुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें। जीवन-सरिता की लहर-लहर, मिटने को बनती यहाँ प्रिये…
Read Moreसर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते हर दर पे जो झुक…
Read Moreवही होती है रहबर जो तमन्ना दिल में होती है ब-क़द्र-हिम्मत-ए-रह-रौ कशिश् मंज़िल में होती…
Read Moreकौन समझे इश्क़ की दुश्वारियाँ इक जुनूँ और लाख ज़िम्मेदारियाँ एहतिमाम-ए-ज़िंदगी-ए-इश्क़ देख रोज़ मर जाने…
Read Moreरह-रव-ए-राह-ए-मोहब्बत कौन सी मंज़िल में है दिल है बे-ज़ार-ए-मोहब्बत और मोहब्बत दिल में है क्या…
Read Moreबैठा नहीं हूँ साया-ए-दीवार देख कर ठहरा हुआ हूँ वक़्त की रफ़्तार देख कर हम-मशरर्बी…
Read Moreकब से उलझ रहे हैं दम-ए-वापसीं से हम दो अश्क पोंछने को तिरी आस्तीं से…
Read Moreइश्क़ जो ना-गहाँ नहीं होता वो कभी जावेदाँ नहीं होता इश्क़ रखता है जिस जगह…
Read Moreअब इश्क़ रहा न वो जुनूँ है तूफ़ान के बाद का सुकूँ है एहसास को…
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