समझता हूँ मैं सब कुछ सिर्फ़ समझाना नहीं आता
समझता हूँ मैं सब कुछ सिर्फ़ समझाना नहीं आता तड़पता हूँ मगर औरों को तड़पाना…
Read Moreसमझता हूँ मैं सब कुछ सिर्फ़ समझाना नहीं आता तड़पता हूँ मगर औरों को तड़पाना…
Read Moreक़सम इन आँखों की जिन से लहू टपकता है मेरे जिगर में इक आतिश-कदा दहकता…
Read Moreमोहब्बत करने वालों के बहार-अफ़रोज़ सीनों में रहा करती है शादाबी ख़ज़ाँ के भी महीनों…
Read Moreफूल सूँघे जाने क्या याद आ गया दिल अजब अंदाज़ से लहरा गया उस से…
Read Moreमेरे रुख़ से सुकूँ टपकता है गुफ़्तुगू से जुनूँ टपकता है मस्त हूँ मैं मेरी…
Read Moreमोहब्बत है अज़ीयत है हुजूम-ए-यास-ओ-हसरत है जवानी और इतनी दुख भरी कैसी क़यामत है वो…
Read Moreमैं दिल को चीर के रख दूँ ये एक सूरत है बयाँ तो हो नहीं…
Read Moreक्या ख़बर थी इक बला-ए-ना-गहानी आएगी ना-मुरादी की निशानी ये जवानी आएगी. सब कहेंगे कौन…
Read Moreहयात इंसाँ की सर ता पा ज़बाँ मालूम होती है ये दुनिया इंक़िलाब-ए-आसमाँ मालूम होती…
Read Moreख़्वाहिश-ए-ऐश नहीं दर्द-ए-निहानी की क़सम बुल-हवस खाया करें इशरत-ए-फ़ानी की क़सम इक ग़म-अंगेज़ हक़ीक़त है…
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