ख़ुश हूँ के ज़िंदगी ने कोई काम कर दिया
ख़ुश हूँ के ज़िंदगी ने कोई काम कर दिया मुझ को सुपुर्द-ए-गर्दिश-ए-अय्याम कर दिया साक़ी…
Read Moreख़ुश हूँ के ज़िंदगी ने कोई काम कर दिया मुझ को सुपुर्द-ए-गर्दिश-ए-अय्याम कर दिया साक़ी…
Read Moreजुम्बिश-ए-काकुल-ए-महबूब से दिन ढलता है है किस ख़ूबी-ए-उस्लूब से दिन ढलता है फ़ेंक कुल्फ़त-ज़दा सूरज…
Read Moreख़ैरात सिर्फ इतनी मिली है हयात से पानी की बूँद जैसे अता हो फ़ुरात से…
Read Moreगिरते हैं लोग गर्मी-ए-बाज़ार देख कर सरकार देख कर मेरी सरकार देख कर आवारगी का…
Read Moreऐ साक़ी-ए-मह-वश ग़म-ए-दौराँ नहीं उठता दुर्वेश के हुज्रे से ये मेहमाँ नहीं उठता कहते थे…
Read Moreबस इस क़दर है ख़ुलासा मेरी कहानी का के बन के टूट गया इक हुबाब…
Read Moreआगही में इक ख़ला मौजूद है इस का मतलब है ख़ुदा मौजूद है है यक़ीनन…
Read Moreसुनने वाले फ़साना तेरा है सिर्फ़ तर्ज़-ए-बयाँ ही मेरा है यास की तीरगी ने घेरा…
Read Moreसरशार हूँ छलकते हुए जाम की क़सम मस्त-ए-शराब-ए-शौक़ हूँ ख़य्याम की क़सम इशरत-फ़रोश था मेरा…
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