मुझको ले डूबीं मेरी खुद्दारिया
अर्ज़े-वाजिब से रक्खा बे-नियाज़ मुझको ले डूबी मेरी खुद्दारियां उनसे मिलता है, क़नाअ़त का सबक़…
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Read Moreजो दरे-हुस्न के फ़क़ीर हुए दौलते-इश्क़ से अमीर हुए सारे आलम में हो गए मशहूर…
Read Moreतेरी दोस्ती पै मेरा यकीं, मुझे याद है मेरे हमनशीं मेरी दोस्ती पै तेरा ग़ुमाँ,…
Read Moreचमन में कौन है पुरसाने-हाल शबनम का? ग़रीब रोई तो ग़ुंचों को भी हँसी आई…
Read Moreतूफ़ान से उलझ गए लेकर ख़ुदा का नाम आख़िर नजात पा ही गए नाख़ुदा से…
Read Moreपूछ अगले बरस में क्या होगा मुझसे पिछले बरस की बात न कर यह बता…
Read Moreगो फ़स्ले-ख़िज़ाँ है फिर भी तो कुछ फूल चमन में बाक़ी हैं, ऐ नंगे-चमन तू…
Read Moreअपनी निगाहे-शोख़ से छुपिये तो जानिए महफ़िल में हमसे आपने पर्दा किया तो क्या? सोचा…
Read Moreजिस ग़म से दिल को राहत हो, उस ग़म का मदाबा क्या मानी? जब फ़ितरत…
Read Moreन आने दिया राह पर रहबरों ने किए लाख मंज़िल ने हमको इशारे हम आग़ोशे-तूफ़ाँ…
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