रुबाई
रुबाई तूफ़ाँ के तलातुम में किनारा क्या है, गरदा में तिनके का सहारा क्या है.…
Read Moreकारवाँ तारीकियों का हो गया आख़िर रवाँ जानिबे-मशरिक़ से निकला आफ़ताबे-ज़रफ़िशाँ ओस के क़तरे में…
Read Moreसुलह के नाम पर लड़ाई है अम्ने-आलम तेरी दुहाई है सुलह-जूई से बढ़ गई पैकार…
Read Moreख़याबाँ-ओ-बाग़ो-चमन जल रहे थे बयाबाँ-ओ-कोहो-दमन जल रहे थे चले मौज दर मौज नफ़रत के धारे…
Read Moreजिस ग़म से दिल को राहत हो, उस ग़म का मदाबा क्या मानी? जब फ़ितरत…
Read Moreअपनी निगाहे-शोख़ से छुपिये तो जानिए महफ़िल में हमसे आपने पर्दा किया तो क्या? सोचा…
Read Moreहर बात में आपाधापी है, चालाकी है, तर्रारी है, दुनिया के फ़साने का उनवाँ मक्कारी…
Read Moreअर्ज़े-वाजिब से रक्खा बे-नियाज़ मुझको ले डूबी मेरी खुद्दारियां उनसे मिलता है, क़नाअ़त का सबक़…
Read Moreजवाबे-तल्ख़ में शामिल मलामत और हो जाती जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो…
Read More