उल्लास
खीचूँगा ललाट पर तेरे मैया! रक्त-तिलक मैं आज! मैं उच्छृंखल नष्ट करूँगा तेरी अटल-शांति के…
Read Moreखीचूँगा ललाट पर तेरे मैया! रक्त-तिलक मैं आज! मैं उच्छृंखल नष्ट करूँगा तेरी अटल-शांति के…
Read Moreअट्टहास कर, पापी का मैं- हृदय हिलानेवाली हूँ; गगन-गोद में नृत्य-मग्न मैं करालिनी हूँ काली…
Read Moreबिजली बन चमकूँगा चंचल चलाक मैं भय-तम विदारूँगा वीरता-उजाला से! लोचन भयंकर हूँ तीसरा त्रिलोचन…
Read Moreउमड़ पड़ शीघ्र प्रबल-उन्माद! सिन्धु के वक्षस्थल को चीर हिला अवनी-तल-हृदय-अधीर कुचल पैरों से द्वेष-विषाद…
Read Moreभविष्य की बात / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ » ज्वाला » Script उठेगी…
Read Moreसुनो, हुआ वह शंख-निनाद! नभ के गहन-दुरूह-दुर्ग का द्वार खुला कर भैरव-घोष! उठ मसान की…
Read Moreवंदन कर भारत माता का, गणतंत्र राज्य की बोलो जय। काका का दर्शन प्राप्त करो,…
Read Moreबिना टिकट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर जहाँ ‘मूड’ आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर…
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