देवता की याचना
इतना विस्तृत आकाश-अकेला मैं हूँ तुम अपने सपनों का अधिवास मुझे दो। नीला-नीला विस्तार, हिलोरों…
Read Moreइतना विस्तृत आकाश-अकेला मैं हूँ तुम अपने सपनों का अधिवास मुझे दो। नीला-नीला विस्तार, हिलोरों…
Read Moreनाच रही नर्तकी-सरीखी मैं रण-चंडी छम-छम-छम! धँसती-सी जा रही धरित्री पदाघात पाकर निर्मम! चमक रही…
Read Moreलिखी गई है बज्र-कलम से मेरी जीवन-पुस्तक आह! जिसके पृष्ट-पृष्ठ पर अगणित बहे हुये हैं…
Read Moreबैठ हिमालय-शैल-शिखर पर करती हूँ मैं सूर्य-निनाद! तैर रहा है आसमान में मेरे यौवन का…
Read Moreअयि जीवन की ज्योति! नाच तू सूर्य-किरण-सी-चपल-महान! वीणा के मृदु पागल स्वर-सी। तारावलि-सी, लोल-लहर-सी। अंतस्तल…
Read Moreविश्व-विधात्री के ललाट पर जलती विकट-चिता-ज्वाला! महाकाल हँसता है पहरे नर-मुंडों की लघुमाला! उगल रहे…
Read Moreबालिका सरल! अयी तुम नहीं बालिका सरल! प्रबल तुम प्रलयंकरी सुजान रक्त-रंजित धारे परिधान! करों…
Read Moreमैं लाऊँगा, तुम चुप देखो, विजय-दिवस मैं लाऊँगा; अखिल-विश्व के मन-मंदिर में अपनी ज्योति जगाऊँगा!…
Read Moreहो सावधान! अब आई मेरी बारी! चमकी आँखों में गौरव की चिनगारी! चमकी आँखों में…
Read More1. मैं हूँ उच्छृंखल विकट कान्ति की ज्वाला! मैं हूँ प्रचंड मैं दुर्दमनीय विशाला!! मैं…
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