फिर निमंत्रण सिंधु का आया
फिर निमंत्रण सिंधु का आया फिर उमड़ते बादलों का मंद्र रव छाया भूल गोधूली-चरण की…
Read Moreफिर निमंत्रण सिंधु का आया फिर उमड़ते बादलों का मंद्र रव छाया भूल गोधूली-चरण की…
Read Moreअलग-अलग वृक्ष खड़े अश्रु-हास और रुदन-गीत गिन रहे एक लहर फूल से उठी एक लहर…
Read Moreतैर चुकी है तरणी मेरी बहुत बार इस धार पर तोड़ चुका हूं बहुत बार…
Read Moreतुम्हारी हंसी से धुली घाटियों में तिमिर के प्रलय का नया अर्थ होगा अनल-सा लहकते…
Read Moreइतना विस्तृत आकाश-अकेला मैं हूं तुम अपने सपनों का अधिवास मुझे दो नीला-नीला विस्तार, हिलोरों…
Read Moreनसों में छौड़ता है सौरमंडल सृजन की छअपटाहट एक क्षण हूं उमड़कर स्रोत से सागर…
Read Moreजिंदगी को लिए मैं खड़ा ओस में एक क्षण तुम रुको, रोक दो कारवां तुम…
Read Moreना, इन फूलों पर न बनेगा मन-मधुकर मतवाला! अब न पियेगा स्वप्न-सुरभि- मदिरा का मादक…
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