मुरझाता हूं मुस्काने से
मन के भीतर मौन बोलता स्वर की चिर ऊर्म्मिल-लहरों पर युग-युग का चैतन्य डोलता मन…
Read Moreमन के भीतर मौन बोलता स्वर की चिर ऊर्म्मिल-लहरों पर युग-युग का चैतन्य डोलता मन…
Read Moreउतर पहाड़ों से जब दिन की छाया टलने को हुई पाल तानकर अकस्मात जब नौका…
Read Moreतिमिर का रंध्र है मेरा बसेरा तिमिर से पोछ वपु झलका रही हूं भुजाओं में…
Read Moreदीप एक आंखों में जलता ‘लौ’ में मेरा प्रियतम चलता संज्ञा बनी स्नेह की बाती…
Read Moreविनय की लय में युगों से प्यार आंसू बन रहा है विकल धरती की व्यथा…
Read Moreरात के खेत का स्वर सितारों-जड़ा बीचियों में छलकती हुई झीलके दीप सौ-सौ लिए चल…
Read Moreमेरे गीतों को सांझ चूमने आई मैं देख रहा तरु-शिखरों की पियराई बोलो, बोलो, इन…
Read Moreयह दीपक बुझ जाने वाला यह आलोक बिलाने वाला तुम निहार दो, भर जाएगा, तुम…
Read Moreनिर्गुण के हिय की धड़कन में लय बन गूंज रहा प्रतिपल क्यों किसने सुधि का…
Read Moreहम रहें, न यह आवरण रहे जीवन न बने क्यों बंधहीन क्यों छंदहीन की शरण…
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