कब तक निबाहें ऐसे ग़लत आदमी से हम
कब तक निबाहें ऐसे ग़लत आदमी से हम दुनिया है ‘मज़हरी’ से ख़फ़ा ‘मज़हरी’ से…
Read Moreकब तक निबाहें ऐसे ग़लत आदमी से हम दुनिया है ‘मज़हरी’ से ख़फ़ा ‘मज़हरी’ से…
Read Moreकहो न ये के मोहब्बत है तीरगी से मुझे डरा दिया है पतिंगों ने रौशनी…
Read Moreजिस सम्त नज़र जाए मेला नज़र आता है हर आदमी उस पर भी तन्हा नज़र…
Read Moreहस्ती है जुदाई से उस की जब वस्ल हुआ तो कुछ भी नहीं दरिया में…
Read Moreबदल जाते हैं दिल-ए-हालात जब करवट बदलते हैं मोहब्बत के तसव्वुर भी नए साँचों में…
Read Moreग़ौर तो कीजे के ये सजदा रवा क्यूँ कर हुआ उस ने जब कुछ हम…
Read Moreहै तेरे जल्वा-ए-रंगी से उजाली दुनिया तुझसे आबाद है शाइर की ख़याली दुनिया नग़्म:-ए-रूहे अमल,…
Read Moreदेख के कर्रोफ़र दौलत की तेरा जी ललचाय सूँघ के मुश्की ज़ुल्फ़ों की बू नींद-सी…
Read Moreफसल जे रात-दिन के काटेला प्रकाश-तम के खाई पाटेला हाथ ऊंहे समय के माथे पर…
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