मिट गया थ इख्तिलाफे बाहमी कल रात को
मिट गया थ इख्तिलाफे बाहमी कल रात को जिन्दगी थी जिन्दगी दर जिन्दगी कल रात…
Read Moreमिट गया थ इख्तिलाफे बाहमी कल रात को जिन्दगी थी जिन्दगी दर जिन्दगी कल रात…
Read Moreजल्वा कहाँ कि जोरे नजर आजमायें हम पर्दा उठायें वो तो नजर भी उठायें हम…
Read Moreन देखो पीछे आगे बढ़ने वालों का समाँ देखो गुबारे कारवाँ देखो किसानों और मज़दूरों…
Read Moreअपने सर हर इक मुसाफिर की बला लेने के बाद नाखुदा डूबा मगर बेड़ा बचा…
Read Moreचलिये तो मिरे साथ जरा राहगुजर तक दुश्वारि-ए-मंजिल है फकत अज़्मे सफर तक दुनिया-ए-नजर अपनी…
Read Moreहर तबस्सुम एक तोहमत हर हॅँसी इल्जाम है जिन्दगी के देने वाले जिन्दगी बदनाम है…
Read Moreगेसू है कि भादों का घटाटोप अँधेरा हँसता हुआ मुखड़ा है कि पनघट का सवेरा…
Read Moreगुलबदन, गुल पैरहन ग़ुंचा दहन याद आ गया जिस चमन में भी गये अपना चमन…
Read Moreकरें हम उनसे अर्ज़े मुद्दआ क्या सरापा इल्तिजा की इल्तिजा क्या जरा सा छेड़ कर…
Read Moreमिरे खयाल ने पहुँचा दिया है किसके पास शकुन्तला की अँगूठी की तरह गुम हैं…
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