गुचा-आ-गुल की कमी है न बहारों की कमी है न बहारों की कमी
गुचा-आ-गुल की कमी है न बहारों की कमी है न बहारों की कमी चन्द कॉटे…
Read Moreगुचा-आ-गुल की कमी है न बहारों की कमी है न बहारों की कमी चन्द कॉटे…
Read Moreकरते है खत्म गम का फसाना यहाँ से हम सुन भी सको तो कह न…
Read Moreऐसी सहर कि जिसमें कोई जल्वागर न हो वो रात का कफन हो हमारी सहर…
Read Moreमेरी खामोशी पे इक हंगामा-ए-तकरीर है आपकी महफिल में चुप रहना भी क्या तकसीर है…
Read Moreखमें मेहराबे हरम भी खमें अब्र तो नहीं कहीं काबे में भी काशी क सनम…
Read Moreमिरे सर कर्ज़ है कुछ ज़िन्दगी का नहीं तो मर चुका होता कभी का जरूरी…
Read Moreमिल के इक दीवाने को आये है समझाने कई पहले मैं दिवाना था और अब…
Read Moreमुझको मेरे हाल पर अब छाड़िए आप मस्तकबिल से रिश्ता जोड़िए आपको दुनिया न कुछ…
Read Moreमेरी खातिर नुमायाँ कौन होगा फसाना मैं हँू उनवाँ कौन होगा सरे महफिल जबाँ खुलवाने…
Read Moreजान कर बन रही है क्यों अनजान, ऐ मिरी जिन्दगी मुझे पहचान, घाट पर मन्दिरों…
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