नज़र हुस्न-आश्ना ठहरी वो ख़िलवत हो कि जलवत हो।
नज़र हुस्न-आश्ना ठहरी वो ख़िलवत हो कि जलवत हो। जब आँखें बन्द कीं तसवीरे-जानाँ देख…
Read Moreनज़र हुस्न-आश्ना ठहरी वो ख़िलवत हो कि जलवत हो। जब आँखें बन्द कीं तसवीरे-जानाँ देख…
Read Moreबेक़रारी दिले-बीमार की अल्ला-अल्ला। फ़र्शेगुल पर भी न आना था, न आराम आया॥ जौरे-दरबाँ की…
Read Moreख़ामोश रहने दो ग़मज़दों को, कुरेद कर हाले-दिल न पूछो। तुम्हारी ही सब इनायतें हैं,…
Read Moreकुछ भी न हैफ़ कर सके हस्ती-ए-मुस्तआ़र में। हो गई खत्म ज़िन्दगी मौत के इन्तज़ार…
Read Moreक्योंकर यहाँ तुम्हारी तबीयत बहल गई। इतनी ही ज़िंदगी हमें ऐ खिज़्र! खल गई॥ जब…
Read Moreइन्सान को उसने ख़ाक से पाक क्या। जी-हौसलये-ओ-साहबे-इदरीक किया॥ पहले तो बनाया उसे गंजीनये-इल्म। फिर…
Read Moreन ख़ामोश रहना मेरे हम-सफ़ीरो! जब आवाज़ दूँ तुम भी आवाज़ देना॥ ग़ज़ल उसने छेडी़…
Read Moreवो खुद सर से क़दम तक डूब जाते हैं पसीने में। मेरी महफ़िल में जो…
Read Moreतालिबे-दीद पर आँच आए यह मंज़ूर नहीं। दिल में है वरना वो बिजली जो सरे-तूर…
Read Moreसौदा-ए-सज्दा शाम ओ सहर मेरे सर में है ऐ बुत कशिश कुछ ऐसी तिरे संग-ए-दर…
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