मोहब्बत में जीना नई बात है
मोहब्बत में जीना नई बात है न मरना भी मर कर करामात है मैं रूस्वा-ए-उल्फ़त…
Read Moreमोहब्बत में जीना नई बात है न मरना भी मर कर करामात है मैं रूस्वा-ए-उल्फ़त…
Read Moreमिरे ग़ैरों से मुझ को रंज-ओ-ग़म यूँ भी है और यूँ भी वफ़ा-दुश्मन जफ़ा-जू का…
Read Moreख़िज़ाँ का जो गुलशन से पड़ जाए पाला तो सेहन-ए-चमन में न गुल हो न…
Read Moreहज़ारों इश्क़-ए-जुनूँ-ख़ेज़ के बने क़िस्से वरक़ हुए जो परेशाँ मिरे फ़साने के हैं ए‘तिबार से…
Read Moreहोते ही जवाँ हो गए पाबंद-ए-हिजाब और घूँघट का इज़ाफ़ा हुआ बाला-ए-नक़ाब और जब मैं…
Read Moreहक़ ओ नाहक़ जलाना हो किसी को तो जला देना कोई रोए तुम्हारे सामने तुम…
Read Moreहमें कहती है दुनिया ज़ख़्म-ए-दिल ज़ख्म-ए-जिगर वाले ज़रा तुम भी तो देखो हम को तुम…
Read Moreबसा-औक़ात आ जाते हैं दामन से गरेबाँ में बहुत देखे हैं ऐसे जोश-ए-अश्क चश्म-ए-गिर्यां में…
Read Moreअमानत मोहतसिब के घर शराब-ए-अर्ग़वाँ रख दी तो ये समझो कि बुनियाद-ए-ख़राबात-ए-मुग़ाँ रख दी कहूँ…
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