ज़माना आया है बेहिजाबी का, आम दीदार-ए-यार होगा
ज़माना आया है बेहिजाबी का, आम दीदार-ए-यार होगा सुकूत था परदादार जिसका वो राज़ अब…
Read Moreज़माना आया है बेहिजाबी का, आम दीदार-ए-यार होगा सुकूत था परदादार जिसका वो राज़ अब…
Read Moreऐ हिमाला ऐ फ़सीले किश्वरे-हिन्दोस्ताँ चूमता है तेरी पेशानी को झुककर आसमाँ तुझमें कुछ पैदा…
Read Moreढूँढने वाला सितारों की गुज़रगाहों का अपने अफ़कार की दुनिया में सफ़र कर न सका…
Read Moreइक वलवला-ए-ताज़ा दिया मैंने दिलों को लाहौर से ता-ख़ाके-बुख़ारा-ओ-समरक़ंद लेकिन मुझे पैदा किया उस देस…
Read Moreजहाने-ताज़ा की अफ़कारे-ताज़ा से है नमूद कि संगो-ख़िश्त से होते नहीं जहाँ पैदा ख़ुदी में…
Read Moreबच्चा-ए-शाहीं से कहता था उक़ाबे-साल -ख़ुर्द ऐ तिरे शहपर पे आसाँ रिफ़अते- चर्ख़े-बरीं है शबाब…
Read Moreअक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा भूले-भटके की रहनुमा हूँ मैं दिल ने…
Read Moreहै कलेजा फ़िगार होने को दामने-लालाज़ार होने को इश्क़ वो चीज़ है कि जिसमें क़रार…
Read Moreपरीशाँ होके मेरी खाक आखिर दिल न बन जाये जो मुश्किल अब हे या रब…
Read Moreसख़्तियाँ करता हूँ दिल पर ग़ैर से ग़ाफ़िल हूँ मैं हाय क्या अच्छी कही ज़ालिम…
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