जादह-ओ-मंज़िल जहाँ दोनों हैं एक।
जादह-ओ-मंज़िल जहाँ दोनों हैं एक। उस जगह से मेरा सेहरा शुरू॥ वक़्त थोडा़ और यह…
Read Moreजादह-ओ-मंज़िल जहाँ दोनों हैं एक। उस जगह से मेरा सेहरा शुरू॥ वक़्त थोडा़ और यह…
Read Moreयह मेरी तौबा नतीजा है बुखले-साक़ी का। ज़रा-सी पी के कोई मुँह ख़राब क्या करता?…
Read Moreदिल का जिस शख़्स के पता पाया। उसको आफ़त में मुब्तला पाया॥ नफ़ा अपना हो…
Read Moreनादाँ की दोस्ती में जी का ज़रर न जाना। इक काम कर तो बैठे, और…
Read Moreहमारा ज़िक्र जो ज़ालिम को अंजुमन में नही। जभी तो दर्द का पहलू किसी सुख़न…
Read Moreआके क़ासिद ने कहा जो, वही अकसर निकला। नामाबर समझे थे हम, वह तो पयम्बर…
Read Moreज़र्रा भी अगर रंग-ए-ख़ुदाई नहीं देता अंधा है तुझे कुछ भी दिखाई नहीं देता दिल…
Read Moreउन्स अपने में कहीं पाया न बे-गाने में था क्या नशा है सारा आलम एक…
Read Moreरोने से जो भड़ास थी दिल की निकल गई आँसू बहाए चार तबीअत सँभल गई…
Read Moreजब्र को इख़्तियार कौन करे तुम से ज़ालिम को प्यार कौन करे ज़िंदगी है हज़ार…
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