उठ खडा़ हो तो बगोला है, जो बैठे तो गु़बार।
उठ खडा़ हो तो बगोला है, जो बैठे तो गु़बार। ख़ाक होकर भी वही शान…
Read Moreउठ खडा़ हो तो बगोला है, जो बैठे तो गु़बार। ख़ाक होकर भी वही शान…
Read Moreहर दाने पै इक क़तरा, हर क़तरे पै इक दाना। इस हाथ में सुमरन है,…
Read Moreहुस्ने-सीरत पर नज़र कर, हुस्ने-सूरत को न देख। आदमी है नाम का गर ख़ू नहीं…
Read Moreसरूरे-शब का नहीं, सुबह का ख़ुमार हूँ मैं। निकल चुकी है जो गुलशन से वो…
Read Moreन यह कहो “तेरी तक़दीर का हूँ मैं मालिक। बनो जो चाहो ख़ुदा के लिए,…
Read Moreआफ़त में पडे़ दर्द के इज़हार से हम और। याद आ गये भूले हुए कुछ…
Read Moreजवाब देने के बदले वे शक्ल देखते हैं। यह क्या हुआ ,मेरे चेहरे को, अर्ज़ेहाल…
Read Moreसाथ हर हिचकी के लब पर उनका नाम आया तो क्या? जो समझ ही में…
Read Moreजिसमें कैफ़ेग़म नहीं, बाज़ आये ऐसे दिल से हम। यह भी देना है कोई? मय…
Read Moreक़रीबेसुबह यह कहकर अज़ल ने आँख झपका दी। “अरे ओ हिज्र के मारे, तुझे अब…
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