इस बाग़ में जो कली नज़र आती है।
इस बाग़ में जो कली नज़र आती है। तसवीरे-फ़सुर्दगी नज़र आती है॥ कश्मीर में हर…
Read Moreइस बाग़ में जो कली नज़र आती है। तसवीरे-फ़सुर्दगी नज़र आती है॥ कश्मीर में हर…
Read Moreकिसी के ग़म की कहानी है जिन्दगी-ए-‘फ़ानी’। ज़माना एक फ़साना है, मेरे नालों का।। ख़ाके-‘फ़ानी’…
Read Moreएक मोअ’म्मा है समझने का ना समझाने का ज़िन्दगी काहे को है ख़्वाब है दीवाने…
Read Moreताब नहीं सुकूँ नहीं दिल नहीं अब जिगर नहीं अपनी नज़र किधर उठे कोई इधर…
Read Moreये मतलब है कि मुज़्तर ही रहूँ मैं बज़्म-ए-क़ातिल में तड़पता लोटता दाख़िल हुआ आदाब-ए-महफ़िल…
Read Moreना-रसा आहें मिरी औज-ए-मरातिब पा गईं दिल से निकलीं लब तक आईं आसमाँ पर छा…
Read Moreमेरे जीने का तौर कुछ भी नहीं साँस चलती है और कुछ भी नहीं दिल…
Read Moreगर्दूं काँपा थर्राई ज़मीं चैन उन बिन आई मुश्किल से वो आह क़यामत थी शायद…
Read Moreदिल हमारी तरफ़ से साफ़ करो जो हुआ सो हुआ मुआफ़ करो मुझ से कहती…
Read Moreभरमत भूत संग, भंग मदमाते अंग, भसम रमाये भकुआए लसे बेस है । ग्रस्त उन्माद…
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