ठाढे़ पिक बयनी मृग नयनी लिये सुमन माल,
ठाढे़ पिक बयनी मृग नयनी लिये सुमन माल, ले लो नृपलाल बाल उमिर तिहारी है।…
Read Moreठाढे़ पिक बयनी मृग नयनी लिये सुमन माल, ले लो नृपलाल बाल उमिर तिहारी है।…
Read Moreले लो प्यारे फूल हमारे जरा लिहाज नहीं कीजै। केवड़ा जूही कुसुम मालती चंपा के…
Read Moreचन्द्रमा बेचारे लज्जित होते बाटिका देख, भानु कुछ देर ठाढ़ रोज ही निहारे हैं। त्रिभुवन…
Read Moreधानी आसमानी खाकसाही ओ जंगली स्वेत, हरित नील पीत रंग फूलों की बहार है। हासी…
Read Moreराजा के कुमार सभ तो निपट सुकुमार दोऊ आज लौं न देखे सोई आज देखलाऊ…
Read Moreहरित नव पल्लव द्रुम डोलत है बार-बार, विविध बयार खूब फूल की बहार है। बने…
Read Moreखिरनी खैर गौर से देखो जामुन की सुम्मार नहीं। कोठा सेमर डूंगर गूलर पाकर पीपर…
Read Moreनिठुर कन्हैया मोरा सूध बिसरवलें से देखहूँ के भइलें सपनवाँ हो लाल। अँगुरी जे धई-धई…
Read Moreफाटल-फाटल बँसवा के बंसिया बनवलें से पोर-पोर। विस भरली बँसुरिया कि पोर-पोर। जा दिन से…
Read Moreसाँझ ओ विहान हम तो स्याम मुख हेरत हैं तबहूँ नदान मोरी सुध बिसरायो री।…
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