गंग किनार ठाढ़ रघुनन्दन केवट-केवट बुला रहे हैं।
गंग किनार ठाढ़ रघुनन्दन केवट-केवट बुला रहे हैं। चरण धोई चरनोदक लेंगे जनम-जनम के पाप…
Read Moreगंग किनार ठाढ़ रघुनन्दन केवट-केवट बुला रहे हैं। चरण धोई चरनोदक लेंगे जनम-जनम के पाप…
Read Moreसुना था हमने मुनियों से इहाँ पर राम का आना। हमोर देश के किस्मत में…
Read Moreसहते-सहते यारे सद्मा दिल में अरमां सो गया। मलते-मलते अब कलेजे दर्द पैदा हो गया।…
Read Moreतजा है प्राण दशरथ ने जुदाई हो तो ऐसा हो। भरत भी राजतज दीनो सचाई…
Read Moreदिल ले के यार मेरा आखिर दगा न करना। रखन दिलों के अंदर हरगिज जुदा…
Read Moreमन राम को सुमिर ले दिन यों ही जा रहा है। नेकी सबाब कर ले…
Read Moreसुना है हम तो मिथिला में स्वयंवर होने वाली है। जुटे सभ देस के राजा…
Read Moreभजो श्री राम को प्यारे उमिरिया बीत जाता है। ये दुनिया चार दिन का है…
Read Moreदिल ले के यार मेरा आखिर दगा न करना। रखन दिलों के अंदर हरगिज जुदा…
Read Moreये हुस्न का है दौलत रखना छिपा-छिपा के। उन आशिकों से हरदम चलना बचा-बचा के।…
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