चाँदनी
नीले नभ के शतदल पर वह बैठी शारद-हासिनि, मृदु-करतल पर शशि-मुख धर, नीरव, अनिमिष, एकाकिनि!…
Read Moreनीले नभ के शतदल पर वह बैठी शारद-हासिनि, मृदु-करतल पर शशि-मुख धर, नीरव, अनिमिष, एकाकिनि!…
Read Moreनीरव सन्ध्या मे प्रशान्त डूबा है सारा ग्राम-प्रान्त। पत्रों के आनत अधरों पर सो गया…
Read Moreविजन-वन के ओ विहग-कुमार! आज घर-घर रे तेरे गान; मधुर-मुखरित हो उठा अपार जीर्ण-जग का…
Read Moreनीरव-तार हृदय में, गूँज रहे हैं मंजुल-लय में; अनिल-पुलक से अरुणोदय में। नीरव-तार हृदय में—…
Read Moreजग के उर्वर-आँगन में बरसो ज्योतिर्मय जीवन! बरसो लघु-लघु तृण, तरु पर हे चिर-अव्यय, चिर-नूतन!…
Read Moreप्राण! तुम लघु-लघु गात! नील-नभ के निकुंज में लीन, नित्य नीरव, निःसंग नवीन, निखिल छबि…
Read Moreलाई हूँ फूलों का हास, लोगी मोल, लोगी मोल? तरल तुहिन-बन का उल्लास लोगी मोल,…
Read Moreजीवन का उल्लास,– यह सिहर, सिहर, यह लहर, लहर, यह फूल-फूल करता विलास! रे फैल-फैल…
Read Moreमेरा प्रतिपल सुन्दर हो, प्रतिदिन सुन्दर, सुखकर हो, यह पल-पल का लघु-जीवन सुन्दर, सुखकर, शुचितर…
Read Moreआज शिशु के कवि को अनजान मिल गया अपना गान! खोल कलियों के उर के…
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