ग्राम युवती
उन्मद यौवन से उभर घटा सी नव असाढ़ की सुन्दर, अति श्याम वरण, श्लथ, मंद…
Read Moreउन्मद यौवन से उभर घटा सी नव असाढ़ की सुन्दर, अति श्याम वरण, श्लथ, मंद…
Read Moreयहाँ नहीं है चहल पहल वैभव विस्मित जीवन की, यहाँ डोलती वायु म्लान सौरभ मर्मर…
Read Moreदेख रहा हूँ आज विश्व को मैं ग्रामीण नयन से, सोच रहा हूँ जटिल जगत…
Read Moreचीटियों की-सी काली-पाँति गीत मेरे चल-फिर निशि-भोर, फैलते जाते हैं बहु-भाँति बन्धु! छूने अग-जग के…
Read Moreशांत स्निग्ध, ज्योत्स्ना उज्ज्वल! अपलक अनंत, नीरव भू-तल! सैकत-शय्या पर दुग्ध-धवल, तन्वंगी गंगा, ग्रीष्म-विरल, लेटी…
Read More(क) तेरा कैसा गान, विहंगम! तेरा कैसा गान? न गुरु से सीखे वेद-पुराण, न षड्दर्शन,…
Read More