रामभजन सब सार मिठाई
रामभजन सब सार मिठाई । हरि संताप जनमदुख राई ॥ध्रु.॥ दुधभात घृत सकरपारे । हरते…
Read Moreरामभजन सब सार मिठाई । हरि संताप जनमदुख राई ॥ध्रु.॥ दुधभात घृत सकरपारे । हरते…
Read Moreबारंबार काहे मरत अभागी । बहुरि मरन संक्या तोरेभागी ॥ध्रु.॥ ये हि तन करते क्या…
Read Moreहम दास तीन्हके सुनाहो लोकां । रावणमार विभीषण दिई लंका ॥ध्रु.॥ गोबरधन नखपर गोकुल राखा…
Read Moreतुका और मिठाई क्या करूं रे । पाले विकारपिंड । राम कहावे सो भली रुखी…
Read Moreकहे तुका भला भया । हुं हुवा संतनका दास । क्या जानूं केते मरता ।…
Read Moreब्रीद मेरे साइंयाके । तुका चलावे पास । सुरा सो हि लरे हमसें । छोरे…
Read Moreतुका इच्छा मीटइ तो । काहा करे चट खाक । मथीया गोला डारदिया तो ।…
Read Moreतुका कुटुंब छोरे रे । लरके जोरों सिर गुंदाय । जबथे इच्छा नहीं मुई ।…
Read Moreतुका मिलना तो भला । मनसुं मन मिल जाय । उपर उपर माटि घसनी ।…
Read Moreतुका संगत तीन्हसें कहिये । जिनथें सुख दुनाये । दुर्जन तेरा मू काला । थीतो…
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