महशर में कोई पूछनेवाला तो मिल गया।
रहमत बड़ी है मुझ को गुनहगार देखकर॥

उन दोस्तों में वो न हों या रब! जो वक़्ते-दीद।
बीमार हो गये रुख़े-बीमार देखकर॥

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *