ज़िन्दगी में क्या मुझे मिलती बलाओं से नजात।
जो दुआएँ कीं, वो सब तेरी निगहबाँ हो गईं॥

कम न समझो दहर में सरमाय-ए-अरबाबे-ग़म।
चार बूंदें आँसुओं की, बढ़के तूफ़ाँ हो गईं॥

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *