ये पयाम दे गई है मुझे बादे- सुबहशाही

कि ख़ुदी के आरिफ़ों का है मक़ाम पादशाही

तेरी ज़िंदगी इसी से, तेरी आबरू इसी से

जो रही ख़ुदी तो शाही, न रही तो रूसियाही

न दिया निशाने-मंज़िल, मुझे ऎ हकीम तूने

मुझे क्या गिलस हो तुझ्से, तू न रहनशीं न राही

By shayar

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