अतना बता के जइहऽ कइसे दिन बीती राम।
हमनी का रहब जानी दुनू हो परानी।
आंगना में कींच-कांच दुअरा पर पानी।
खाला-ऊँचा गोर पड़ी चढ़ल बा जवानी। हमनी।
देस विदेसे जालऽ जालऽ मुलतानी।
केकरा पर छोड़ के जालऽ टूटही पलानी। हमनी।
कहत महेन्दर मिसिर सुनऽ दिलजानी।
केकरा से आग मांगब केकरा से पानी।
हमनी का रहब संगे दुनों हो परानी।

By shayar

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