चकुनी जे हथिया पर बइठे राजा दशरथ हे।
मुँहे खालें पानवाँ निहारे ले बरतिया हे।
मिथिला सहरिया के पतरी तिरियवा हे।
परीछन चलेली सभे हाँथे लेली लोढ़वा हे।
अवध नगरिया से अइलें बरियतिया हे।
लंगरा ओ लुझवा सभे मुँहँवाँ लुकवले हे।
छोटे-छोटे दूलहा के छोटे-छोटे बहियाँ हे।
कबही ना देखली में अइसन दूलहवा हे।
दूलहा के देखी मोरा जियरा लोभइलें हे।
सोने के थरियावा में आरती उतरती हे।
दूलहा के परिछन से अँखियां जुड़इतीं हे।
निरखे महेन्दर सभके मोहे परानवाँ हे।
पलकों ना लागे देखी धेनुही धरनवाँ हे।

By shayar

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