अटपट करोगे कान्ह मुरली छिनवाय लूँगी,
सब दिन की असर कान्ह आज ही छुराऊँगी।
कमरी ओढ़ैया बैल बछरू चरवइया,
घर-घर के नचैया ये याद सब कराऊँगी।
छोटी जन जानो हमें कहर गिराऊँ श्याम,
सारी पेन्हाय तोहे नारी बनवाऊँगी।
द्विज महेन्द्र कृष्णचन्द्र मान जा हमारी बात,
राय से रहोगे तो फेर काल्ह आऊँगी।

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *