क्या जाने यह रहगीर है, रहबर है कि रहज़न?
हम भीड़ सरे-राहगुज़र देख रहे हैं॥
पहले तो नशेमन की तबाही पै नज़र थी।
अब हौसलये-बर्क़ो-शरर देख रहे हैं॥
पूछो मेरी परवाज़ का अन्दाज़ उन्हीं से।
यह लोग जो टूटे हुए पर देख रहे हैं॥
क्या जाने यह रहगीर है, रहबर है कि रहज़न?
हम भीड़ सरे-राहगुज़र देख रहे हैं॥
पहले तो नशेमन की तबाही पै नज़र थी।
अब हौसलये-बर्क़ो-शरर देख रहे हैं॥
पूछो मेरी परवाज़ का अन्दाज़ उन्हीं से।
यह लोग जो टूटे हुए पर देख रहे हैं॥