आह हम हैं और शिकस्ता-पाइयाँ
अब कहाँ वो बादिया-पैमाइयाँ
जोश-ए-तूफाँ है न मौंजों का ख़रोश
अब लिए है गोद में गहराइयाँ
खेलते थे ज़िंदगी ओ मौत से
वो शबाब और आह वो कजराइयाँ
हम हैं सन्नाटा है और महवियतें
रात है और रूह की गहराइयाँ
आह हम हैं और शिकस्ता-पाइयाँ
अब कहाँ वो बादिया-पैमाइयाँ
जोश-ए-तूफाँ है न मौंजों का ख़रोश
अब लिए है गोद में गहराइयाँ
खेलते थे ज़िंदगी ओ मौत से
वो शबाब और आह वो कजराइयाँ
हम हैं सन्नाटा है और महवियतें
रात है और रूह की गहराइयाँ