तरुण प्रेमी, प्रणय वेदना
बताओ-बताओ बे-दिल प्रिया को
ओ विजयी, निखिल हृदय
करो-करो जय मोहन माया से।
नहीं वो एक हिया समान
हज़ार काबा, हज़ार मस्जिद
क्या होगा तुम्हारे काबा की खोज से
आश्रय ढूँढ़ों तुम्हारी हृदय की छाँव में।
प्रेम की रौशनी से है जो दिल रौशन
जहाँ हो समान उसके लिए
ख़ुदा की मस्जिद, मूरत मन्दिर
ईसाई गिरजा, यहूदीख़ाना।
अमर है उसका नाम प्रेम के पन्नों पर
ज्योति से जिसे जाएगा लिखा
दोजख़ का भय नहीं होता है उसे
नहीं रखता है वह जन्नत की आशा।