जान कर मिन-जुमला-ऐ-खासाना-ऐ-मैखाना मुझे
मुद्दतों रोया करेंगे जाम-ओ-पैमाना मुझे

सब्ज़ा-ओ-गुल, मौज-ए-दरिया, अंजुम-ओ-खुर्शीद-ओ-माह
एक ताल्लुक सब से है लेकिन रकीबाना मुझे

नग-ए-मैखाना था साकी ने ये क्या कर दिया
पीने वाले कह उठे ‘पीर-ए-मैखाना’ मुझे

जिंदगी मैं आ गया जब कोई वक्त-ए-इम्तेहान
उसने देखा है जिगर बे-इख्तियाराना मुझे

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *