यूँ न रह रह के हमें तरसाइए ।
आइए, आ जाइए, आ जाइए ।

फिर वही दानिश्ता ठोकर खाइए,
फिर मिरे आग़ोश में गिर जाइए ।

मेरी दुनिया मुन्तज़िर है आपकी,
अपनी दुनिया छोड़ कर आ जाइए ।

ये हवा, ‘साग़र’ ये हल्की चाँदनी,
जी में आता है यहीं मर जाइए ।

By shayar

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