इस अपार संसार सिन्धु में राम नाम आधार।
जिसने मुख से राम कहा उस जन का बेड़ा पार है।
इस भवसागर में तृष्णा नीर भरा है।
फिर कामादि जल-जीवों का पहरा॥
यदि कहीं-कहीं पर भक्ति सीप होती है।
तो उसके अंदर राम-नाम मोती है॥
इन्हीं मोतियों से नर-देही का सुंदर श्रृंगार है।
जिसने मुख से राम कहा उस जन को बेड़ा पार है॥
कलिकाल महानद आगम विषय जलधारा।
इसमें जब नर हरिनाम नाव पाता है।
तो पल भर में ही पार उतर जाता है॥
राम नाम रस ‘बिन्दु’ कुशल केवट ही खेवनहार है।
जिसने मुख से राम कहा उस जन को बेड़ा पार है॥

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *