श्याम तेरी छटा प्यारी जो पिया करते हैं,
यही अपनी है गिजा जिससे जिया करते हैं।
नहीं मुरझाते कभी पुष्प गुलशन दिल के,
प्रेम जल से उन्हें सीच दिया करते हैं।
रफूगरी कि भी तरकीब निकाली है नयी,
तेरी नजरों से जिगर जख्म सिया करते हैं।
गजब चाहने वाले भी हैं तेरे मोहन,
खाकसारी में भी अहसान किया करते हैं।
गुंथे स्नेह कि डोर में ‘बिन्दु’ आँसू के,
इसी माला पै तेरा नाम लिया करते है।